Muslim Rajput Welfare Association
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इल्म ♦ इत्तिहाद ♦ तरक्क़ी

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पैगाम
मेरा पैगाम मिल्लत के नाम
अल्लाह का मेरे ऊपर खास करम रहा कि मेरी ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा अपनी क़ौम ओ मिल्लत व इंसानियत की ख़िदमत में गुज़रा है। अल्लाह ने मुझ अदना से इंसान से बहुत काम लिया है। इसके लिए अल्लाह तआला का मुझसे शुक्र भी अदा नही हो पाता है।... मेरी ज़िंदगी के सुनहरे तीस साल इस सफर में गुज़रे। अल्लाह ने मुझे मेरी हिम्मत, जुर्रत, ताक़त ,जोश ओ जुनून व हौसले के मुताबिक बिला किसी मज़हब ओ मिल्लत,ऊँच नीच ,अमीर गरीब के भेद से ऊपर उठकर सभी की खिदमत के लिए कुबूल किया। कुछ लोगों को शिकायत है कि मैं किसी एक वर्ग (मुस्लिम राजपूत) के लिए काम करता हूँ। उनको मैं बता देना चाहता हूँ कि मेरे कईं प्लेटफार्म हैं ख़िदमत करने के जैसे हिन्दू मुस्लिम एकता,हिन्दू मुस्लिम राजपूत एकता, माइनॉरिटीज़ के मुख्तलिफ स्टेज, माइनॉरिटीज़ स्टूडेंट्स वेलफेयर, उर्दू टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश। ऐसे ही ये भी मेरा एक प्लेटफार्म है। हर प्लेटफार्म पर मैं अपनी पूरी निष्ठा से काम कर रहा हूँ। दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर भी बहुत से मेरे मुख्लिस साथी मेरे साथ काम कर रहे हैं,और बड़ी कामयाबी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन जिस क़ौम (मुस्लिम राजपूत) में मेरा जन्म हुआ ,बदक़िस्मती से वह क़ौम तमाम तरह की सलाहियत क़ाबलियत व बहादुर होते हुए राहे हक़ से भटक गई। जो ज़िम्मेदारी पूरी इंसानियत के लिए इसे निभानी चाहिए थी उससे भटक कर, अपने मक़सद से दूर हो गई। घमण्ड, तकब्बुर,ज़ुल्मो सितम,झूठ फरेब धोकाधड़ी व झूठी अना का शिकार होकर गुनाहों के घोर अंधेरों में डूबती चली गई।। इन सब हालात ने क़ौम के दानिशमंद लोगों को झकझोर कर रख दिया। चारों तरफ झगड़ा फसाद, कत्लो गारत,बेवजह के मुकदमात, इल्म से दूरी, झूठी शोहरत के लिए बेवजह की रस्मों रिवाज पर बेइंतहा खर्च ने इन्हें तबाही के दहाने पर ला खड़ा किया। तभी हमारे मन मे ख़्याल आया इस ज़िद्दी बा सलाहियत बहादुर क़ौम को हक़ और सच की राह पर वापस लाने का।हमने सोचा कि राह भटक कर ये बहादुर क़ौम बड़ा नुक़सान कर सकती है ,अगर ये सुधर जाए तो बड़ा इन्क़लाब भी ला सकती है। इसमें इन्क़लाब लाने की तमाम सिफ़तें, क़ाबलियत मौजूद हैं। इस वक़्त इस अंधेरे दौर में एक बहादुर क़ौम का जागना अज़हद मिल्लत की एक बड़ी ज़रूरत है। इसी के मद्देनज़र मेहनत जिद्दोजोहद जारी है। ये बात भी सच है कि ज़माने ने भी इस बहादुर क़ौम के साथ इंसाफ नही किया।
दुनिया की ये क़ौम जो दूसरों के लिए लड़ी मरी, अपना सब कुछ जिनके लिए लुटा दिया, आज वही लोग इसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझते हैं। वही लोग इन्हें बर्बाद होते देखना अपनी कामयाबी समझते हैं। खुशी के दिये जलाते हैं। इस सोच को हर लिहाज़ से गलत ही कहा जायेगा। आज हालात ने करवट बदल ली है। कुर्बानी और बहादुरी की परिभाषा बदल गई। हुकूमत करने के अंदाज़ बदल गए। इंसाफ का पैमाना बदल गया। लेकिन इन सबके बदलने पर भी हम नही बदले। जो वक़्त औऱ हालात के साथ नहीं बदलता, वक़्त और हालात भी उनसे अपनी राह बदल लेते हैं, और नाकामी उनका मुक़द्दर बन जाती है।
अपनी क़ौम के इस फलाही मिशन (मुस्लिम राजपूत वेलफेयर एसोसिएशन) को हमने पूरे जोशो जुनून से शुरू किया। हमारी बहादुर टीम ने दिन रात की बड़ी मेहनत के बाद इस मक़सद में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। आज इसी ज़िद्दी क़ौम का एक बड़ा तबक़ा इस बात पर आमादा होगया है कि वक़्त और हालात के मद्देनज़र ज़िंदगी को सजाना संवारना ही हमें कामयाबी तक ले जा सकता है। मुझे उम्मीद ही नही बल्कि पूरा यक़ीन है कि जिस दिन ये क़ौम अपने पुराने अंदाज़ को पकड़ गई और जाग गई उस दिन इस मुल्क ही नही,बल्कि मिल्लत के अंदर भी एक बड़ा इन्क़लाब देखने को मिलेगा। बस ज़रूरत है सकारात्मक सोच , सब्र के साथ साथ साबित क़दम रहने की। मुझे उम्मीद है कि आप अपनी सोच को बुलन्दी देते हुए अच्छा सोचेंगे तो इंशाल्लाह रिज़ल्ट भी अच्छे ही हासिल होंगे। इस लिए हम सबके लिए हैं, सब हमारे लिए।
हक़ और सच के साथ इंसानियत ज़िंदाबाद। ये ही सच्चे इंसान व इंसाफ वाली क़ौमों का मक़सद होना चाहिए।



---आपकी ख़िदमत में हमेशा आपके साथ।
आपका अपना अदना सा साथी
राव अब्दुल सत्तार
राष्ट्रीय संयोजक
मुस्लिम राजपूत वेलफेयर एसोसिएशन
मोबाईल न0 9456085015
अपील
अगर आप तरक्की चाहते हैं तो.......
♢ अपने बच्चों को आला तालीम दीजिए।
♢अपनी औलाद को चरित्रवान बनाएं।
♢शादी/निकाह को आसान बनाएं और दिखावे से बचें।
♢ शादी/निकाह में बड़ी बारात, मंढा, रोकना व लाडकोथली वगैरह से परहेज़ करें।
♢ शादी/ निकाह में कैश रकम, वाहन व फुजूल खर्च बचाकर दोनों परिवार लड़का व लड़की के रोजगार व आला तालीम देने में मदद करें।
♢ शहर, कसबे,गाँव में आपसी झगड़े व मुआमलात को हल करने के लिये इन्साफ कमेटियों के गठन में तेज़ी लाएं।
♢अपने को छोटा अपनों को बड़ा मानिये अल्लाह खुश होगा।
♢ अपनों की तरक़्क़ी व कामयाबी पर खुशी मनाएँ, मुबारकबाद दें, हौसला अफ़ज़ाई करें,हसद कीना से बचें। सच्चे साथी बनकर अपनों का सहारा बनें।
♢ अपना इतिहास हमेंशा याद रखिये ये आपको रास्ता दिखायेगा।
---रियासत अली चौधरी, अध्यक्ष
मुस्लिम राजपूत वेलफेयर एसोसिएशन
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इल्म हासिल करो! इत्तेहाद पैदा हो जायेगा और तरक़्क़ी खुद ब खुद आप के कदम चूमेंगी।
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